कुमावत क्षत्रिय जाती के माहर  व ( मावर )  गौत्र का इतिहास और कुलदेवी

कुमावत क्षत्रिय जाती के माहर व ( मावर ) गौत्र का इतिहास और कुलदेवी

Kumawat kshatriya jaati ke maahar gautra ka itihaas aur kuldevi  (Present Jaati Maahar or Mavar)

||श्रीगणेशायनमः||

संत श्री शरणदासजी के सुशिष्य संत‐शिरोमणि श्रीगरवाजी महाराज ने संवत 1316  वैशाख शुक्ला नवमी शनिवार को जैसलमेर में राजपूत जातियों में नाता‐प्रथा शुरू कर 9 राजपूती जातियों से जो नई जाति कुंबावत क्षत्रिय बनाई थी, उसके सर्व प्रथम बने 62 गौत्रों में एक गौत्र माहर है। इनका नख जोइया, जैसलमेर के भाटी राजपूतों से माहर गौत्र बना है।रावजैसलजी भाटी राजपूत थे और उन्होंने अपनी पूरानी राजधानी लोदूर्वा से 14 किलोमीटर दूर जैसलमेर बसाया था। माहर गौत्र के पूर्वजों ने संवत 1350 में महावॉं गॉव बसाया था और उसके बाद संवत 1534  में सीरढा गाँव में आ बसे थे। सीरढा में पालोजी नाम के माहर हुए थे उन्होंने सीरढा गॉव की कांकड़ में संवत 1545 में पालोळाई नाम का तालाब खुदवाया था।पालोजी माहर ने सिरोही के मुसलमानों से गायें छूड़ाने के लिए युद्ध किया था और गायें छूड़ाकर लाये थे। उस युद्ध मेंं पालोजी माहर संवत 1605 माघ सुदी नवमी को जुंजार हुए थे यानि सिरकटने के बाद भी लड़ कर शहीद हुए थे , इनका थान‐मन्दिर पालोळाई तालाब पर बनाया हुआ है। पालोजी के वंशज बाद में खारी, रातड़िया ,श्रीगंगानगर जिले में रोहीड़ावाली एवं हिसार जिले के गंगवा तथा धोलुगांव में बस गये। इनके कुछ वंशज सीरढा से श्रीकोलायत के पास भलूरीगांव में जा बसे। भलूरीगांव में बादुजी माहर हुए थे उन्होंने पक्का कुआ खुदवाकर संवत्‌ 1710 में बादनूगॉव बसाया था। बीकानेर के तत्कालीन राजाशूरसिंहजी भी उस समय बादनूगॉव में पधारे थे। साण्डवा से जोधसर सड़क मार्ग पर बादनूंगॉव है, लगभग 60 से अधिक घर बादनूगॉव में माहर गौत्र के हैे। संवत्‌ 1847 में अमरजी माहर बादनूंगॉव से सरदारशहर आकर बस गये\

मैं इनकी सातवीं पीढ़ी हूँ| वर्तमान में इनके वंशजों के लगभग 20 घर सरदारशहर में हैं। अमरजी के बड़े भाई बादनू से जोधपुर चले गये और वहां से अहमदाबाद जाकर बस गये।उनके वंशजों के माहर पेट्रोलियम नामका पेट्रोल‐पम्प एवं एक सिनेमा‐हॉल भी अहमदाबाद में है। माहर गौत्र के कई परिवार गॉव रूनिया, सूरतगढ तहसील के गॉव बारेकां में बसे है।कुछ परिवार बादनूं से कुंभासर जा बसे। कुंभासर में उदेरामजी एवं सदारामजी दो भाई थें इन दोनों भाइयों ने महाजन पट्‌टी में उदेपुर नामका गांव संवत 1845 में बसाया एवं कुआ खुदवाया था।उदेरामजी के कुछ वंशज रसालिया गोरीवाला, हरदासवाली, आलमगढ गांवों में जा बसे। सदारामजी के वंशज हडूताजी और ताजारामजी दो भाई हुए थे। उन्होंने संवत 1918 में झण्डाला गांव बसाया था। छोटे भाई ताजारामजी ने संवत 1918 में कलरखेड़ा गॉव बसाया था। इनके कुछ वंशज हत्थूसर में जा बसे। वहां जोगीजी माहर हुए थे उनके पु़त्रों ने संवत 1940 में महाजन के पास हरिसिंहपुरा गांव बसाया था, महाजन के राजा हरिसिंहजी भी वहां मौजूद थे। हरिसिंहपुरा में माहर गौत्र के काफी घर है,  कुछ परिवार बीरमाणा गांव में बस गये।

माहर जैसलमेर के भाटी राजपूत, नख जोइया, चन्द्रवंश, अत्रज गौत्र से बना है। भाटी राजपूतों से माहर के अलावा बोरावढ, मंगलराव, पोहड़, लीमा, खुडिया, भाटिया, नोखवाल, भीडानिया, सोकल, डाल, तलफीयाड, भाटीवाल, आईतान, जटेवाल,मोर, मंगलौड़ गौत्र बने थे। इन सभी गौत्रों की कुलदेवी सांयगा, सांगिया, स्वांगिया माता है‐‐ ये तीनों नाम एक ही है।इनका मन्दिर जैसलमेर से 3 किलोमीटर उत्तर‐पूर्व दिशा में गजरूपसागर नामक समतल पहाड़ी पर बना हुआ है जो कि जैसलमेर के भाटी राजपूत राज परिवार द्वारा बनवाया गया था।इनकी मुख्य पूजा अष्टमी को होती है। सांगिया माता सिंध की हिंग्ळाज माता का पूर्ण अवतार है, ये सात बहिनें और एक भाई है‐ ये सभी शक्ति के अवतार माने जाते हैं।कई जगह सातों बहिनों की पूजा एक साथ होती है। राजस्थान के चूरू जिले की सरदारशहर तहसील से सात कोस पश्चिम में बायला गॉव में सम्वत 1441 में बना इनका एक प्राचीन मन्दिर 500 बीघा ओरण‐गोचर भूमि में स्तिथ है और ये श्रीबांयाजीधाम नाम से जाना जाता है। वर्तमान में इनके वंशजों के लगभग राजस्थान के  कई जगह गांवों में माहर गौत्र के कई परिवार माहर के अलावा मावर नाम से जाने जाते हैं।

 

॥कुलगुरू श्रीगरवाजी महाराज की जय॥

 नगराज माहर, सरदारशहर ( प्रवासी–चेन्नई, तमिलनाडु )