संघठन में शक्ति है
समाज में सभी को एक घड़ी की तरह रहना चाहिए जैसे घड़ी में एक कांटा जोर से घूम रहा हो चाहे एक कांटा धीरे चल रहा हो!
चाहे एक कांटा छोटा हो या फिर एक कांटा बड़ा हो मगर घड़ी में बारा बजाना हो तो सब कांटे एक साथ एक जगह हो जाते है !
